लीज और रजिस्ट्री जमीन में क्या अंतर है, प्लॉट खरीदने से पहले जान लें पूरी जानकारी | Studyem Jobs


अगर आप जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। जमीन खरीदने से पहले आपको कुछ जरूरी बातों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आज हम आपको बताएंगे लीज और रजिस्टर्ड जमीन में क्या अंतर होता है।

भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। जितनी तेजी से आबादी बढ़ रही है, जमीन के दाम भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहे हैं। हर कोई जमीन खरीदकर निवेश करना चाहता है। जमीन में निवेश ऐसा है कि आने वाले समय में इसका मूल्य बढ़ता ही जाता है, जब तक कि कोई प्राकृतिक आपदा न आ जाए।

किन बातों का रखना है ध्यान?

जहां एक तरफ जमीन में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है वहीं दूसरी तरफ अगर आपको जमीन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे आप पैसा खर्च करने से पहले अच्छे से सोच लेते हैं, वैसे ही जमीन में निवेश करने से पहले उसके नफा-नुकसान को समझ लेना जरूरी है।

एक निवेशक के रूप में, जमीन में निवेश करने से पहले, आपको यह जांचना चाहिए कि आप जिस जमीन में निवेश कर रहे हैं, वह लीजहोल्ड है या नोटरी या रजिस्ट्री। आइए एक-एक करके समझते हैं।

पट्टे पर दी गई भूमि से क्या आशय है ?

जमीन में निवेश करने वालों के मन में हमेशा यह भ्रम रहता है कि लीजहोल्ड जमीन खरीदी जाए या नहीं। दरअसल, सरकार लोगों की योजनाओं और शर्तों को ध्यान में रखते हुए उन्हें जमीन का पट्टा देती है। यहां आपको बता दें कि जमीन का पट्टा उन्हीं को दिया जाता है जिनके पास जमीन नहीं होती है।

पट्टे की जमीन पर सिर्फ सरकार का अधिकार है। जिस परिवार को पट्टा मिल जाता है, वह उस भूमि का स्वामी नहीं हो जाता। वह व्यक्ति इस जमीन को न तो बेच सकता है और न ही किसी और के नाम ट्रांसफर कर सकता है। आपको बता दें कि व्यक्ति को एक निश्चित अवधि के लिए सरकार द्वारा पट्टा दिया जाता है।

पंजीकृत भूमि का क्या अर्थ है?

इस जमीन पर सरकार का कोई अधिकार नहीं है। यह किसी व्यक्ति की निजी भूमि होती है जिसे वह व्यक्ति किसी को भी बेच सकता है और हस्तांतरित भी कर सकता है। वहीं अगर नोटरी लैंड की बात करें तो ऐसी जमीन पर भी भरोसा किया जा सकता है।