Sagwan Tree Farming: जाने सांगवान की खेती कर कैसे बन सकते है करोड़पती | Studyem Jobs


Sagwan Tree Farming:- सागवान की बुवाई के लिए मानसून से पहले का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस मौसम में पौधा लगाने से वह तेजी से बढ़ता है और शुरुआती वर्षों में साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। यह उष्णकटिबंधीय दृढ़ लकड़ी पर जाती है, जोकि लैमीऐसी परिवार से संबंधित है यह भारत में सबसे मूल्यवान और ऊंची कीमत वाली टिंबर की फसल है। यह एक लंबा पतझड़ वृक्ष है, जिसकी 40 मीटर लंबी और टहनियां सलेटी व भूरे रंग की होती हैं भारत में सागवान की खेती पहली बार 1842 में लाई गई थी और चाटू मेनन को भारतीय टी की खेती के पिता के तौर पर जाना जाता है।

सागवान की खेती के लिए मिट्टी

सागवान के बढ़िया विकास के लिए बढ़िया निकासी वाली गनी और उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है। इसके लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 या इससे अधिक होना चाहिए। इससे मिट्टी के विकास पर प्रभाव पड़ता है।

सागवान की उन्नत किस्में

सागवान की कई अनेक उन्नत किस्में मौजूद हैं जिन्हें लगाकर आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। पैदावार के मामले में यह सभी किस में सामान्य होती हैं इन्हें अलग-अलग जलवायु के हिसाब से अलग-अलग क्षेत्र में लगाया जाता है। सागवान के कुछ प्रमुख किस्में दक्षिणी और मध्य अमेरिका सागवान, पश्चिमी अफ्रीकी सागवान, अदिलाबाद सागवान, नीलांबर सागवान, गोदावरी सागवान दी गई इन सभी किस्मों के पेड़ों की लंबाई अलग-अलग पाई जाती है।

सागवान के लिए जमीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा बनाने के लिए खेत की दो से तीन बार जोताई करें। मिट्टी को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना रहे। नए पौधों की रोपाई के लिए 45×45×45 सेंटीमीटर के फासले पर गड्ढे खोदे। प्रत्येक गड्ढे में गली हुई रूडी की खाद के साथ किटनाशक से डालें।

बिजाई का समय

बिजाई को नर्सरी बैड में बोया जाता है। रोपाई के लिए 12 से 15 महीने के नए पौधे का प्रयोग करें टिशु प्रजनन ग्राफ्टिंग, जड़, तने काटकर और छोटे प्रजनन द्वारा किया जाता है। रोपाई के लिए पूर्व अंकुरण पौधे का प्रयोग किया जाता है। मानसून का मौसम सागवान की रोपाई के लिए सबसे अच्छा मौसम माना जाता है।

सागवान के बीज की गहराई

सागवान की रोपाई के लिए पूर्व अंकुरित पौधे का प्रयोग करें प्रत्येक गड्ढे में गली हुई रूडी की खाद और मिट्टी डालें।

सागवान की बुवाई विधि

1 एकड़ में रोपाई के लिए लगभग 1500 1800 क्लोंस का प्रयोग किया जाता है।

सागवान मे सिंचाई

मानसून के मौसम में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। सिंचाई गर्म या गर्मियों के महीने में ही होती है। आवश्यकतानुसार सिंचाई करने के साथ काफी हद तक पैदावार में सुधार होता है। अतिरिक्त सिंचाई से पानी के धब्बे और फंगस ज्यादा हो जाती है।

सागवान की कटाई

जब वृक्ष कटाई की अवस्था पर पहुंच जाते हैं, तब उस वृक्ष को निशान लगाकर और इसकी रिपोर्ट चीफ रीजनल फॉरेस्ट्री ऑफिस में दें। अनुमति प्राप्त होने के बाद कटाई की जा सकती है। सागवान की खेती सबसे ज्यादा लाभदायक होती है, क्योंकि इसकी भारत के साथ-साथ विदेशों में भी भारी मांगे हैं। एक 14 वर्ष का सागवान का वृक्ष 10 से 15 फीट की लकड़ी प्रदान करता है।

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